कांडला में 1965 में एशिया के पहले ईपीजेड के खोले जाने के साथ, भारत निर्यात को बढावा देने में निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (ईपीजेड) मॉडल की प्रभावोत्पादकता स्वीकार करने वाले पहले देशों में एक था । नियंत्रणों एवं मंजूरियों की विविधता; विश्व स्तरीय अवसरंचना का अभाव; और एक अस्थिर वित्तीय व्यवस्था के कारण सामने आने वाली दिक्कतों का सामना करने तथा भारत में अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए, अप्रैल 2000 में विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) नीति की घोषणा की गई ।
इस नीति का उद्देश्य केंद्र एवं राज्य दोनों ही स्तर पर न्यूनतम संभावित विनियमनों के साथ आकर्षक वित्तीय प्रोत्साहन तथा गुणवत्ता – पूर्ण अवसंरचना की सहायता से सेज को आर्थिक विकास का वाहक बनाना था । भारत में सेज 1.11.2000 से 09.02.2006 तक विदेश व्यापार नीति के प्रावधानों के तहत कार्यरत रहा और आवश्यक वैधानिक प्रावधानों के माध्यम से वित्तीय प्रोत्साहनों को प्रभावी बनाया गया ।
निवेशकों में आत्मविश्वास भरने और एक स्थिर सेज नीति व्यवस्था के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत देने के लिए तथा सेज व्यवस्था में स्थिरता लाने के द्वारा अधिक आर्थिक् कार्यकलाप और रोजगार सृजन करने के उद्देश्य से हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्शों के बाद एक व्यापक प्रारूप सेज विधेयक का निर्माण किया गया । वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री तथा वरिष्ठ अधिकारियों दोनों द्वारा इस उद्देश्य के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में कई बैठकें की गईं । संसद द्वारा मई, 2005 में विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 पारित किया गया जिसे 23 जून, 2005 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई । प्रारूप सेज नियमों पर व्यापक चर्चा की गई और सुझाव/टिप्पणियां आमंत्रित करते हुए इन्हें वाणिज्य विभाग की वेबसाइट पर डाला गया । प्रारूप नियमों पर लगभग 800 सुझाव प्राप्त हुए । व्यापक परामर्शों के बाद, सेज नियमों द्वारा समर्थित सेज अधिनियम 2005, 10 फरवरी , 2006 को प्रभावी हुआ जिसमें प्रक्रियाओं में सरलीकरण तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों से संबंधित मामलों पर सिंगल विंडो मंजूरी का प्रावधान था ।
सेज अधिनियम के मुख्य उद्देश्य है :
ऐसी उम्मीद है कि इससे सेज में, अवसंरचना एवं उत्पादक क्षमता में बड़ी मात्रा में विदेशी एवं घरेलू निवेश की आवक होगी जिससे अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों एवं रोजगार अवसरों का सृजन होगा ।
सेज अधिनियम 2005 में निर्यात संवर्धन एवं संबंधित बुनियादी ढांचे के सृजन में राज्य सरकारों के लिए एक प्रमुख भूमिका की परिकल्पना की गई है । 19 सदस्यीय अंत: मंत्रिस्तरीय मंजूरी बोर्ड (बीओए) के जरिये सिंगल विंडों सेज मंजूरी तंत्र की व्यवस्था की गई है । संबंधित राज्य सरकार/संघ शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा उपयुक्त रूप से अनुशंसित आवेदनों पर बीओए द्वारा सावधिक रूप से विचार किया जाता है । बोर्ड की मंजूरियों से संबंधित सभी निर्णय सर्वसहमति से लिए जाते हैं ।
सेज नियमों में सेज के विभिन्न वर्ग के लिए विभिन्न न्यूनतम भूमि आवश्यकता का प्रावधान है प्रत्येक सेज एक प्रसंस्करण क्षेत्र जहॉं केवल सेज की इकाइयां ही स्थापित हो सकेंगी और एक गैर – प्रसंस्करण क्षेत्र में विभाजित होता है जहॉं सहायक अवसरंचना का सृजन किया जाना है ।
सेज नियमों में प्रावधान है :
सेज का मंजूरी तंत्र एवं प्रशासनिक ढांचा
मंजूरी तंत्र
डेवेलपर संबंधित राज्य सरकार के समक्ष सेज की स्थापना के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करता है । राज्य सरकार को ऐसे प्रस्ताव की प्राप्ति की तिथि से 45 दिनों के भीतर अपनी अनुशंसा के साथ प्रस्ताव को मंजूरी बोर्ड को अग्रेषित करना पड़ता है । आवेदन के पास प्रस्ताव को सीधे मंजूरी बोर्ड को प्रस्तुत करने का विकल्प भी होता है ।
मंजूरी बोर्ड का गठन केंद्र सरकार द्वारा सेज अधिनियम के तहत प्रदत अधिकारों के तहत किया गया है । मंजूरी बोर्ड में सभी निर्णय सर्वसहमति से लिए जाते हैं । मंजूरी बोर्ड में 19 सदस्य होते है । इनकी संरचना निम्न प्रकार से है :
सदस्यों की सूची
क्र.सं. | विभाग | सदस्य |
---|---|---|
(1) |
सचिव, वाणिज्य विभाग |
अध्यक्ष |
(2) |
सदस्य, सीबीईसी |
सदस्य |
(3) |
सदस्य, आईटी, सीबीडीटी |
सदस्य |
(4) |
संयुक्त सचिव (बैंकिंग प्रमाण), आर्थिक मामले विभाग, वित्त मंत्रालय |
सदस्य |
(5) |
संयुक्त सचिव (सेज), वाणिज्य विभाग |
सदस्य |
(6) |
संयुक्त सचिव, डीआईपीपी |
सदस्य |
(7) |
संयुक्त सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय |
सदस्य |
(8) |
संयुक्त सचिव, लघु उद्योग तथा कृषि व ग्रामीण उद्योग मंत्रालय |
सदस्य |
(9) |
संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय |
सदस्य |
(10) |
संयुक्त सचिव, रक्षा मंत्रालय |
सदस्य |
(1 1) |
संयुक्त सचिव, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय |
सदस्य |
(12) |
संयुक्त सचिव, कानून एवं विधि मंत्रालय |
सदस्य |
(13) |
संयुक्त सचिव, विदेश मामले मंत्रालय |
सदस्य |
(14) |
संयुक्त सचिव, शहरी विकास मंत्रालय |
सदस्य |
(15) |
संबंधित राज्य सरकार का एक नामांकित व्यक्ति |
सदस्य |
(16) |
विदेश व्यापार महानिदेशक या उनका नामांकित व्यक्ति |
सदस्य |
(17) |
संबंधित विकास आयुक्त |
सदस्य |
(18) |
भारतीय प्रबंधन संस्थान या भारतीय विदेश व्यापार संस्थान का एक प्रोफेसर |
सदस्य |
(19) |
निदेशक या उप सचिव, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, वाणिज्य विभाग |
सदस्य सचिव |
प्रशासनिक ढांचा
सेज का कामकाज एक त्रिस्तरीय प्रशासनिक ढांचे द्वारा शासित होता है । मंजूरी बोर्ड शीर्ष निकाय होता है और इनके अध्यक्ष वाणिज्य विभाग के सचिव होते हैं । जोन स्तर पर मंजूरी समिति सेज में इकाइयों को मंजूरी एवं अन्य संबंधित मुद्दों पर विचार करती है । प्रत्येक जोन का प्रमुख एक विकास आयुक्त होता है जो मंजूरी समिति का पदेन अध्यक्ष होता है ।
मंजूरी बोर्ड द्वारा सेज को मंजूरी दे दिए जाने एवं केद्र सरकार द्वारा सेज के क्षेत्र को अधिसूचित कर दिए जाने के बाद, इकाइयों को सेज में स्थापित किए जाने की अनुमति दी जाती है । सेज में इकाईयों की स्थापना के सभी प्रस्तावों को विकास आयुक्त, सीमा शुल्क अधिकारियों एवं राज्य सरकार के प्रतिनिधियों से निर्मित मंजूरी समिति द्वारा मंजूरी दी जाती है । आयातक – निर्यातक कोर्ड नंबर, कंपनी या कार्यान्यनकारी एजेंसी के नाम में बदलाव, ब्रॉड बैंडिंग विविधीकरण आदि सहित सभी अनुमोदन पश्चात मंजूरियां विकास आयुक्त द्वारा जोन स्तर पर दी जाती है । एसईजेड इकाइयों के प्रदर्शन की निगरानी मंजूरी समिति द्वारा समय – समय पर की जाती है और इकाइयां मंजूरी की शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में विदेश व्यापार (विकास एवं विनियमन) अधिनियम के प्रावधानों के तहत दंडात्यक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होती हैं ।